________________
कि विक्रम की सातवीं शताब्दी पूर्व क्या यूरोप, क्या एशिया यावत् समस्त संसार मूर्तिपूजा का उपासक था । मूल वस्तु को पहचानने के लिये मूत्ति की या चित्र-छबि की आवश्यकता रहती है ।
विश्व में स्थापना को माने बिना किसी का भी व्यवहार नहीं चल सकता। इसलिये अतिप्राचीन काल से भारत देश की जनता मूर्तिपूजा को मानती आई है। जब भारत में मुसलमानों का साम्राज्य हुआ, तबसे उनके जुल्मी बर्ताव से भारतदेश की जनता को खूब सहना
पड़ा।
सर्वप्रथम प्रायः १३०० से १४०० वर्ष पूर्व हजरत मोहम्मद पैगम्बर ने अरबिस्तान में मूर्तिपूजा के विरुद्ध उद्घोषणा की थी। क्योंकि उस देश में मूत्तिपूजा के नाम पर अत्याचार अत्यन्त ही बढ़ गये थे । 'अपने सिर पर बाल बढ़ जाने से बालों के बजाय सिर को ही काट डालने का' निर्णय किया गया । अर्थात् अत्याचार का विरोध नहीं करके मूत्तिपूजा का विरोध किया गया । यह विरोध किसी भी प्रमाण के आधार पर नहीं, किन्तु केवल तलवार के बल पर ही किया गया ।
आज विद्यमान इतिहास भी बतला रहा है कि केवल
•
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२३