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सत्कार किया जाता है, उसी का नाम पूजन है। उस को ही पूजा कहते हैं।
(९) पूजा शब्द के पर्यायवाची शब्द,
पूजा शब्द के पर्यायवाची शब्द नीचे प्रमाणे हैं। 'अमरकोष' ग्रन्थ में कहा है कि-"पूजा नमस्याऽपचितिः सपर्याऽचर्हिरणाः समाः" । अर्थात्-पूजा नमस्या, अपचिति, सपर्य्या, अर्चा और अर्हणा, ये छह नाम पूजा के हैं। .
(१०) मूर्तिपूजा का स्पष्ट अर्थमूर्ति और पूजा ये दोनों पद मिलने से 'मूत्तिपूजा' यह एक संयुक्त पद होता है। उसी को समासान्त पद कहते हैं। यहाँ पर 'मूर्तेः पूजा-मूर्तिपूजा' या 'मूर्तीणां पूजा-मूर्तिपूजा' इस तरह षष्ठी तत्पुरुष समास होता है। अर्थात्-'मूत्ति की पूजा या मूर्तियों की पूजा मूत्तिपूजा कही जाती है।'
___ श्री वीतराग विभु-प्रभु की मूत्ति की श्रद्धा युक्त भक्ति भाव से अष्टप्रकारी आदि पूजा की जाती है, वे ही 'जिनमूत्ति पूजा' हैं। विशेष सत्कार करने का नाम ही 'मूर्तिपूजा' है।
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१६