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दिन श्रीवीर सं. २५१६ विक्रम सं. २०४६ तथा श्रीनेमि सं. ४१ नूतनवर्ष का प्रारम्भ हुआ।
श्रीसंघ को मांगलिक स्मरण, श्रीगौतमस्वामी रास तथा अष्टक एवं शासनसम्राट् अष्टक श्रवण करने का सुन्दर लाभ मिला । श्रीस्थापनाचार्य का मंगल-पूजन पूज्य आचार्य म. सा. के द्वारा हुआ। जिनमन्दिर में पूजाप्रभावनादि का कार्यक्रम चालू रहा।
उसी दिन पू. साध्वीश्री भव्यगुणा श्रीजी कृत श्रीवर्द्धमान तप की ३७वीं अोली की तथा पू. साध्वीश्री मुदिता श्रीजी कृत श्रीवर्द्धमान तप की ४७वीं अोली की पूर्णाहुति के पारणा के प्रसंग पर राजस्थानदीपक परम पूज्य आचार्य म. सा. ने चतुर्विध संघ युक्त बाजते-गाजते श्रीमान् केसरीमलजी रिखबाजी के घर पर पगलियां किये। वहाँ भी ज्ञानपूजन, मांगलिक प्रवचन तथा प्रतिज्ञा के पश्चाद् संघपूजा हुई।
२-कात्तिक सुद २ मंगलवार दिनांक ३१-१०-८६ के दिन व्याख्यान में संघपूजा श्रीमान् अचलचन्दजी पुखराजजी रानी स्टेशन वालों की तरफ से हुई ।
३-कार्तिक सुद ३ बुधवार दिनांक १-११-८६ के दिन
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३११