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हुई। उन्होंने अपनी ओर से भराया हुया नूतन छोड़ पूज्यपाद आचार्य म. सा. की पावन निश्रा में श्री सम्भवनाथ जिनमन्दिर में प्रभुजी के पृष्ठ भाग में लगाया और पूजा पढ़ाकर प्रभावना भी की। उसी दिन संघ में . 'पंचरंगी तप' का प्रारम्भ हुआ !
.. श्रावण सुद ६ शुक्रवार दिनांक ११-८-८६ के दिन पंचरंगी तप करने वाले को पारणा कराने का लाभ श्रीमान् मोहनराजजी कस्तूरचन्दजी ने लिया ।
श्रावण सुद १२ सोमवार दि. १४-८-८९ के दिन दांतराई गाँव से वन्दनार्थ आये हुए एक सद्गृहस्थ की ओर से व्याख्यान में संघपूजा दो रुपये से हुई ।
- श्रावरण सुद १३ मंगलवार दिनांक १५-८-८६ के दिन चाणस्मा (गुजरात) से वन्दनार्थ आये हुए विमावाले श्रीमान् रतिलालभाई तथा श्रीमान् बच्चूभाई की अोर से व्याख्यान में संघपूजा हुई ।
[ ४ ] * नवाहि नका-महोत्सव का प्रारम्भ * श्रावण सुद १५ गुरुवार दिनांक १७-८-८६ के दिन
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता २८८