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________________ विपाकमेसु बाहुप्रमुख, आणंदसरीखा जोयजी । उववाइ अरिहतचेइयाणि, अम्बड़ प्रतिमा वन्दी सोयजी । प्रतिमा० ॥ १२ ॥ रायपसेणी सूरियाभे पूजी, जीवाभिगम विजयसूरंगजी । धूवं दाउणं जिगवराणं, ठवरणसाची चौथे उपंगजी ।। प्रतिमा० ॥ १३ ॥ प्रथम तीर्थकर मोक्षे सिधाया, स्थम्भ कराया तीनजी । जम्बूद्वीपपन्नत्ति देखो, सुर होय भक्ति तीमे लीनजी ॥ प्रतिमा० ॥ १४ ॥ जंभकदेवता प्रतिमा पूजी, सास्वता सिद्धायतनबहुजाण जी। चंदपन्नत्ति सूर्यपन्नत्ति, प्रतिमा कहि विमानजी ॥ प्रतिमा० ॥ १५ ॥ निरियावलिका पुफियामाहे, चंपानगरी जाणजी। उवबाइमे वर्णन कीधो, अरिहंत चैत्य प्रमाणजी ॥ प्रतिमा० ॥ १६ ॥ त्रीजे वर्गे दसोई देवता, पूजा नाटकविध जाणजी। चौथे वर्गे दसोइं देवी, प्रतिमा पूजी बहुमानजी ॥ प्रतिमा० ॥ १७ ॥ मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२७२
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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