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ढाल - १
[ आदर जीव क्षमागुण आदर -ए देशी ]
प्रतिमा छत्रीसी सुणो भविप्राणी !
सूत्रां के अनुसारीजी ॥ ए टेक ॥ आचारांग दूजे श्रुतखंधे, पंदरमे अध्ययन मुकारजी । पाँच भावना समकित केरी, नित वन्दे अणगारजी || प्रतिमा० ।। १ ।।
जे सूयगडाङ्ग छठे अध्ययने, आद्रनाम कुमारजी । प्रतिमा देखी ज्ञान ऊपनो, पाम्यो भवनो पारजी ॥ प्रतिमा० ।। २ ।।
ठाणायंगे चौथे ठाणे, सत्य निक्षेपा चार जी । दशमें ठाणे ठवणासच्चे, इम भाष्यो गणधारजी ॥ प्रतिमा० ॥ ३ ॥
नंदीश्वरद्वीप
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अंजनगिरि ने दधिमुखा, मुझारजी । बावन मन्दिर प्रतिमा जिनकी, वन्दे सुर अरणगारजी ॥ प्रतिमा० ॥ ४ ॥
स्थापनाचारज चौथे अंगे, द्वादश ठारणा मायजी । सतरमे समवायाङ्ग जंघाचारण, प्रतिमा वन्दन जायजी || प्रतिमा० ॥ ५ ॥
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २७०