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अधोलोक में भवनपति के निवास स्थान में ७,७२००००० जिनमन्दिर हैं । प्रत्येक जिनमन्दिर में एक सौ सी जिनविम्ब हैं । सब मिलाकर जिनमूर्तिअस्सी प्रतिमाएँ १३८६०००००० लाख होती हैं । तिरछेलोक में मनुष्य लोक में ३२५६ शाश्वत जिनमन्दिर हैं । इन चैत्यों में सब मिलाकर ३६१३२० जिनबिम्ब हैं । शाश्वत चैत्य की लम्बाई १०० योजन, चौड़ाई ५० योजन और ऊँचाई ७२ योजन है ।
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इसके सिवाय व्यन्तर और ज्योतिष में असंख्य चैत्य और मूर्ति प्रतिमाएँ हैं । शाश्वत जिनबिम्बों के नाम ऋषभ, चन्द्रानन, वारिषेण और वर्द्धमान हैं ।
प्रत्येक उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल में भरत, ऐरवत तथा महाविदेह - सत्र क्षेत्रों के तीर्थंकरों में 'ऋषभ' आदि चार नाम वाले तीर्थङ्कर भगवन्त अवश्य होते हैं । इस कारण ये नाम प्रवाह रूप से शाश्वत हैं ।
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २२३