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व्यंतर-ज्योतिषिमां वली जेह ,
शाश्वता जिन वंदू तेह । ऋषभ चन्द्रानन वारिषेण ,
वर्द्धमान नामे गुणसेरण ॥ १० ॥
समेतशिखर वंहूँ जिन वीश ,
अष्टापद वंदू चौवीश । विमलाचलने गढ़ गिरनार ,
___ आबू ऊपर जिनवर जुहार ॥ ११ ॥ शंखेश्वर केशरियो सार ,
तारंगे श्रीअजित जुहार । अन्तरिक्ष वरकाणो पास ,
जीरावलो ने थम्भण पास ॥ १२ ॥
ग्राम नगर पुर पाटरग जेह ,
जिनवर चैत्य नमू गुरण गेह । विहरमान वंदू जिन वीश ,
सिद्ध अनन्त नमू निशदिश ॥ १३ ॥
अढ़ी द्वीपमा जे अरणगार ,
अढार सहस सीलांगना धार । पंच महावत समिति सार ,
पाले पलावे पंचाचार ।। १४ ॥
. मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-२२१