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________________ सहस सत्ताणुं त्रेवीस सार , जिनवर भवनतणो अधिकार । लांबा सौ जोजन विस्तार , पचास ऊँचा बोहोतेर धार ॥ ५ ॥ एक सौ एंशी बिंब प्रमाण , सभा सहित एक चैत्ये जाण । सौ कोड़ बावन कोड़ संभाल , लाख चौराणुं सहस चौपाल ॥ ६ ॥ सातशे ऊपर साठ विशाल , सवि बिब प्रणम् त्रण काल । सात कोड़ने बोहोतेर लाख , भवनपति मां देवल भाख ॥ ७ ॥ एक सौ एंशी बिब प्रमाण , एक-एक चैत्ये संख्या जाण । तेरशे कोड़ नेव्याशी कोड़ , ____साठ लाख वंदूं कर जोड़ ॥ ८ ॥ बत्रीशे ने प्रोगणसाठ , तिर्खालोकमां चैत्यनो पाठ । त्रण लाख एकाणुं हजार , त्रणशे वीश ते बिंब जुहार ॥ ६ ॥ मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-२२०
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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