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तीर्थवन्दना-सूत्र सकल तीथ वंदूं कर जोड़ ,
जिनवर नामे मंगल कोड़। पहले स्वर्गे लाख बत्रीश ,
जिनवर चैत्य नमू निशदिश ॥ १ ॥ बीजे लाख अट्ठावीश कह्यां ,
त्रीजे बार लाख सद्दयां । चौथे स्वर्गे अड़ लख धार ,
पाँचमे वंदू लाख ज चार ॥ २ ॥ छठे स्वर्गे सहस पचास ,
सातमे चालिस सहस प्रासाद। . पाठमे स्वर्गे छह हजार ,
नव-दशमे वंदं शत चार ॥ ३ ॥ अग्यार-बारमे त्रणशे सार ,
नव अवेयके त्रशें अढ़ार । पाँच अनुत्तर सर्वे मली ,
लाख चौराशी अधिकां वली ॥ ४ ॥
. मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-२१६