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ॐ श्री वीतरागदेव की भक्ति के
Aalamaalian.anilianamasaalaamaana
जनम-जनम का पापमैल सब, प्रभु-भक्ति से धुल जाता; प्रीति सभर भक्ति की खुशबू, में जीवन जब घुल जाता । कठिन कर्म के ढेर में भी, प्रभु भक्ति आग लगा देती; वीतरागी की भक्ति आत्मा को, स्वयं वीतराग बना देती ॥
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areerwarel मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२१८