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________________ 5 श्री जिनमूत्तिस्थापन स्तवन क [ रचयिता श्राचार्य श्रीमद् विजय सुशील सूरि महाराज ] [मेरे मौला बुलालो मदीने मुझे० - राग में ] जगन्नाथ भलो । मुक्तिदाता खरो ॥ मेरे देव जिणंद तूं, कर्म-हर्त्ता तू, मेरे ध्यान धरो मेरी अर्जी ऊपर प्रभो ! मेरे दिल के ये दर्द समस्त हरो || मेरे० ॥ टेर ॥ , मेरे० ॥ टेरी ॥ या० ॥ - शेर - GRA - तू ही ब्रह्मा तू ही विष्णु, तू ही महादेव है । तू ही कर्म-निर्मुक्त है ॥ तू ही बुद्ध तू ही सिद्ध, मेरी प्राधि-व्याधि प्रभो! दूर करो || मेरे० ॥ ( १ ) - शेर Soc - तू ही माता तू ही पिता, तू ही तारणहार है । तू ही बन्धु तू ही मित्र, तू ही रक्षणकार है || दूर करो || मेरे० ॥ ( २ ) मेरी सर्व उपाधि भी भी मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २०६
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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