________________
* श्री जिनप्रतिमा स्थापन # श्री शान्तिनाथ जिनस्तवन ( रचयिता - मुनिराज श्री जीवविजयजी म. )
शान्ति जिनेश्वर साहेब वंदो, अनुभव रस नो कंदो रे ; मुखने मटके लोचन लटके, मोह्या सुर-नर वृंदो रे । शान्ति जिनेश्वर० (१)
मंजर देखी ने कोयल टौके, मेघ तेम जिन प्रतिमा निरखी हरखु, वली जेम चंद चकोर रे । शान्ति जिनेश्वर ० (२)
घटा जेम मोरो रे
;
जिन प्रतिमा जिनवर भाखी, सूत्र घरणां छे साखी रे ; सुरंनर मुनिवर वंदन पूजा करता शिव अभिलाषी रे ।
शान्ति जिनेश्वर० (३)
रायपसेणी प्रतिमा पूजी, जीवाभिगमे प्रतिमा पूजी,
सूरियाभ समकितधारी रे ; विजयदेव अधिकारी रे। शान्ति जिनेश्वर० (४)
मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - १६६