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________________ थावर हिंसा जिनपूजामां, जो तु देखी धूजे ; तो पापी ते दूर देश थी, जे तुज आवी पूजे रे ? कुमति ! कां प्रतिमा उथापी ? ॥ ११ ॥ पडिकमणे मुनि दान विहारे, हिंसा दोष विशेष ; लाभालाभ विचारी जोतां, प्रतिमा मां स्यो द्वष रे !, कुमति ! कां प्रतिमा उथापी ? ॥ १२ ।। टीका चूणि भाष्य उवेख्यां, ऊवेखी नियुक्ति ; प्रतिमा कारण सूत्र उवेख्यां, दूर रही तुझ मुगति रे !, कुमति ! कां प्रतिमा उथापी ? ॥ १३ ।। शुद्ध परंपर चाली प्रावी, प्रतिमा-वंदन वाणी ; संमूर्च्छम जे ए मूढ न माने, तेह अदीठ कल्याण रे !, कुमति ! कां प्रतिमा उथापी ? ॥ १४ ॥ जिन प्रतिमा जिन सरिखी जाणे, पंचाङ्गीना जाण ; कवि जसविजय कहे ने गिरुया, कीजे तास वखाण रे! , कुमति ! कां प्रतिमा उथापी ? ॥ १५ ।। .. मूति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१६५
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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