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श्री अनन्तनाथ भगवाननी स्तुति जेनां दीक्षा दरिसन गुणो ज्ञान ए छे अनंता , ने जेने सौ सुर नर तथा नित्य सेवे महंता । हम्मेशां जे शिववर सुखो भोगवे छे अनंता , ते आपोने शिव-सुख मने श्री अनंतेश संता ॥ १४ ॥
श्री धर्मनाथ भगवाननी स्तुति शुद्धाचारो शुभतरगुणो सुव्रतो श्रेष्ठ जेमां , साचा देवो शुभगुरुवरो मार्ग साचोज तेमां । एवो विश्वे धरम जिननो धर्म मोटो गणाए , एवा धर्म-प्रभवरतणो धर्म चाहु सदाए ॥ १५ ॥
श्री शान्तिनाथ भगवाननी स्तुति पारेवाने पुरव भवमां बाजथी रक्ष्यु भारे, कीधी माता कुखमय रही देशनी शान्ति सारी । त्यागी दोधां नवनिधि अने चौद रत्नो छ खंडो, लीधा मेवा शिवपुरतरणा सोलमा शान्ति वंदो ॥ १६ ॥
श्री कुन्थुनाथ भगवाननी स्तुति छट्टा चक्री थइ जगतमा धर्मचक्री थया जे , भावी माटे निखिल जगने आगमो दै गया जे । ते द्वारा ए भविक बहुए मुक्ति मांहे बिराज्या , एवा स्वामी त्रण भुवनमां कुन्थुनाथ स्मराया ॥ १७ ॥
मूत्ति-१२ मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१७७