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________________ मान है । दूसरी मूर्ति पाटण शहर में और तीसरी मूर्ति चारुप तीर्थ (गाँव) में आज भी विद्यमान है । इन जिनमूर्तियों की प्राचीनता ५,८६,७४४ वर्ष की है । (२१) गुजरात के श्री तारंगाजी तीर्थ में श्री कुमारपाल महाराजा द्वारा बनवाया हुआ गगनचुम्बी जिनमन्दिर एवं श्री अजितनाथ स्वामी की भव्य विशाल मूर्ति विद्यमान है । इसे ८५० वर्ष हुए हैं । । (२२) श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ पर बीस तीर्थंकर भगवन्तों की कल्याणक भूमियाँ हैं तथा वहाँ अनेक जिनमन्दिर बने हैं । (२३) श्री सिद्धाचलजी महान् तीर्थ पर अनेक जिनमन्दिर एवं हजारों जिनमूर्तियाँ हैं । (२४) श्री जैसलमेर तीर्थ में अनेक जिनमन्दिर एवं छह हजार छह सौ जिनमूत्तियाँ हैं । (२५) श्री गिरनारजी तीर्थ पर अनेक जिनमन्दिर तथा सैकड़ों जिनमूत्तियाँ हैं । इसके अतिरिक्त भी सुप्रसिद्ध तीर्थस्थानों पर अनेक प्राचीन जिनमूत्तियाँ और जिनमन्दिर विद्यमान हैं । मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - १६०
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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