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(१७) आन्ध्रप्रदेश में हैदराबाद के निकटवर्ती श्री कुल्पाकजी तीर्थ (गाँव) में श्री भरत महाराजा के समय में बनवाई हुई श्री ऋषभदेव भगवान की मूत्तिजो काल के प्रभाव से जिनमन्दिर युक्त, भूगर्भ में दब गई थी वह-कुछ समय पूर्व प्रकट हुई है। वह मूर्ति
आज भी देवाधिष्ठित है और 'श्री माणिक्य स्वामी' के नाम से प्रसिद्ध है।
(१८) लंकाधिपति रावण के समय बनाई हुई मत्ति श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथ के नाम से आज भी महाराष्ट्र के आकोला गाँव में स्थित है।
(१६) मरुधर-मारवाड़ के नांदिया गाँव में २५१५ वर्ष पूर्वे श्रमण भगवान महावीर स्वामीजी की विद्यमानता में बनी हुई मूत्ति स्थापित की हुई है। इसे जीवन्त स्वामी की मूत्ति-प्रतिमा कहते हैं।
(२०) वर्तमान चौबीसी के बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान के शासन के २२२२ वर्ष के बाद गौड़देशवासी श्री आषाढ़ नाम के श्रावक ने तीन मूत्तियाँप्रतिमाएँ बनवाई थीं। उनमें से एक मूत्ति स्थंभनपुर (खंभात) में श्री स्थम्भन पार्श्वनाथ भगवान की विद्य
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मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१५६