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जिनमूत्तियों तथा जिनमन्दिरों को बनवाने वाले
भूतकाल के भाग्यशाली महापुरुष जगत् में अनन्तानन्त जीव हैं। मनुष्य-भव पाये हुए प्राणियों का जब प्रबल पुण्योदय होता है तब उन्हें भवसिन्धुतारक ऐसी जिनमूत्तियाँ और मनोहर जिनमन्दिर बनवाने का अनुपम लाभ मिलता है ।
भूतकाल में ऐसा अनुपम लाभ लेने वाले धर्मी महापुरुष अनेक हो गये हैं। उनके शुभ नाम आज भी धर्मशास्त्रों में तथा इतिहास के पन्नों में सुवर्णाक्षरों में अंकित हैं। इनमें से कुछ सुप्रसिद्ध नामों का उल्लेख नीचे प्रमाणे है
(१) इस अवसर्पिणी काल में प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान के प्रथम पुत्र श्री भरत चक्रवर्ती ने श्री शत्रुजय महातीर्थ का उद्धार किया। स्वर्ण-सोने के जिनमन्दिर बनवाये और रत्नों की बनाई हुई जिनमूत्तियों-जिनबिम्बों की भी सुन्दर स्थापना की। उन्होंने
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१५४