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दस पयन्ना के नाम
(१) चतुःशरण पयन्ना, (२)आतुर प्रत्याख्यान पयन्ना, (३) वीरस्तव पयन्ना, (४) भक्तपरिज्ञा पयन्ना, (५) तंडुल वेयालियं पयन्ना, (६) गणि विज्झयं पयन्ना, (७) चन्दाविज्झयं पयन्ना, (८) देवेन्द्रस्तव पयन्ना, (६) मरणसमाधि पयन्ना और (१०) संथारग पयन्ना ।
छह छेदसूत्र के नाम
(१) निशीथ छेदसूत्र, (२) महानिशीथ छेदसूत्र, (३) व्यवहार छेदसूत्र, (४) दशाश्रुतस्कन्ध छेदसूत्र, (५) बृहत्कल्प छेदसूत्र और (६) जीतकल्प छेदसूत्र । दो सूत्र
(१) नन्दीसूत्र और (२) अनुयोगद्वार सूत्र । चार मूल सूत्र(१) आवश्यक-अोघनियुक्ति मूलसूत्र, (२) दशवैकालिक मूलसूत्र, (३) पिण्डनियुक्ति मूलसूत्र और (४) उत्तराध्ययन मूलसूत्र ।
इस तरह सब मिलाकर ४५ प्रागम होते हैं । इन सभी ४५ आगमों को 'श्री जैन श्वेताम्बर मूत्ति
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मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१०५