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आगम-सिद्धान्तशास्त्र पर है। वर्तमान काल में विद्यमान ४५ आगम हैं। इनमें ग्यारह अंग हैं, बारह उपांग हैं, दस पयन्ना हैं, छह छेदसूत्र हैं, दो सूत्र हैं और चार मूल सूत्र हैं।
ग्यारह अंगों के नाम
(१) आचाराङ्ग, (२) सूत्रकृताङ्ग, (३) ठाणाङ्ग, (४) समवायाङ्ग, (५) व्याख्याप्रज्ञप्ति यानी भगवती जी, (६) ज्ञाताधर्मकथाङ्ग, (७) उपासक दशाङ्ग, (८) अन्तकृद् दशाङ्ग, (६) अनुत्तरौपपादिक दशाङ्ग, (१०) प्रश्नव्याकरणाङ्ग, (११) विपाकश्रुत और (१२) दृष्टिवाद । इनमें बारहवें अंग दृष्टिवाद के विच्छेद होने से ग्यारह ही अङ्गों की विद्यमानता है ।
बारह उपांगों के नाम
(१) औपपातिक उपांग, (२) राजप्रश्नीय उपांग, (३) जीवाजीवाभिगम उपांग, (४) प्रज्ञापना उपांग, (५) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति उपांग, (६) चन्द्रप्रज्ञप्ति उपांग, (७) सूर्यप्रज्ञप्ति उपांग, (८) निरयावलिका उपांग, (8) कल्पावतंसिका उपांग, (१०) पुष्पिका उपांग, (११) पुष्पचूलिका और (१२) वृष्णिदशा उपांग ।
मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-१०४