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________________ पर चढ़कर श्री भरत चक्रवर्ती महाराजा द्वारा बनवाई हुई और वहाँ स्थापित की हुई जिनमूर्तियों का भावोल्लासपूर्वक दर्शन करेगा, तो वह इसी भव में अवश्य मोक्ष में जायेगा'। सुनकर, इस बात का निश्चित निर्णय करने के लिये स्वयं श्री गौतम स्वामी गणधर महाराजा श्री अष्टापद तीर्थ पर स्वात्मलब्धि द्वारा चढ़े, उन्होंने 'जगचिन्तामरिण' नूतन रचना द्वारा जिनेश्वरदेवों की स्तुति की और यात्रा करके उसी भव में सकल कर्मों का क्षय कर के मोक्ष में गये । .: (५) 'श्री कल्पसूत्र' की स्थविरावली की वृत्ति में कहा है कि श्री दशवैकालिक सूत्र के कर्त्ता श्री शय्यंभव सूरीश्वरजी महाराजश्री को संसारी अवस्था में यज्ञ की क्रिया कराते समय प्राप्त हुई श्री शान्तिनाथ भगवान की मूर्ति प्रतिमा के दर्शन से ही प्रतिबोध प्राप्त हुआ था । (६) 'श्री सुयगडांगसूत्र' के दूसरे श्रुतस्कंध के छट्ठे अध्ययन की वृत्ति टीका में कहा है कि मगधदेश के सम्राट् श्री श्रेणिक महाराजा के सुपुत्र श्री अभयकुमार मन्त्रीश्वर द्वारा भेजी हुई श्री ऋषभदेव भगवान की मूर्ति - प्रतिमा के दर्शन से ही, अनार्यदेश में उत्पन्न हुए श्रीश्रार्द्रकुमार मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - ६३
SR No.002340
Book TitleMurti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1990
Total Pages348
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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