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( ८३ ) और दोनों हाथ जोड़कर जो प्रणाम किया जाता है वह 'अर्धावनत प्रणाम' है।
(३) पंचांग प्रणिपात प्रणाम-अपने दोनों हाथ, मस्तक और दोनों घुटने अर्थात् शरीर के इन पाँच अंगों को जमोन पर स्पर्श कराना वह 'पंचांग प्रणिपात' है।
तीन प्रदक्षिणा देने के बाद मूल गम्भारे के सामने पुरुषों को भगवान की दाहिनी तरफ और स्त्रियों को भगवान की बायीं यानी डाबी तरफ खड़े रहकर दर्शन करने चाहिए। कारण कि-बीच में खड़े रहकर दर्शन करने से पीछे से दर्शन करने वालों को और चैत्यवन्दनादि करने वालों को बाधा नहीं पहुँचे, इसलिए बाजू में खड़े रहकर दर्शनादि करें।
गंभारे के द्वार पर, प्रभु के सामने खड़ रहते वक्त अपना शरीर आधा झुकाकर अर्धावनत प्रणाम-नमस्कार करें। तथा भक्तिभावपूर्वक भावविभोर बनकर प्रभु की स्तुति करें-प्रार्थना करें।
दर्शनं देवदेवस्य, दर्शनं पापनाशनम् । दर्शनं स्वर्गसोपानं, दर्शनं मोक्षसाधनम् ॥१॥