________________
( ७६ )
* दसत्रिक * जिनमन्दिर में प्रवेश करके बाहर निकलने तक दस त्रिक का परिपालन अवश्य करना चाहिए
(१) निसीही त्रिक, (२) प्रदक्षिणा त्रिक, (३) प्रणामत्रिक, (४) पूजा त्रिक (५) अवस्था त्रिक, (६) प्रमार्जना त्रिक, (७) दिशात्याग त्रिक, (८) पालम्बन त्रिक, (६) मुद्रा त्रिक एवं (१०) प्रणिधान त्रिक ।
इन दसों त्रिकों तथा इनके कुल ३० उपभेदों का क्रमशः संक्षिप्त वर्णन करेंगे
(१) निसीही त्रिक-'निसीही' शब्द का अर्थ है 'निषेध करना।' तीन निसीही द्वारा तीन स्थानों पर विविध कार्यों का निषेध-त्याग करना है ।
जिनमन्दिर में प्रवेश करते ही प्रवेश द्वार पर प्रथम 'निसीही' कहना चाहिए ।
प्रारम्भ में 'प्रथम निसोही' कहने का कारण यह है कि-'हे प्रभो ! इस मन्दिर में मैं संसार के समस्त व्यापारों का त्रिकरण योगे अर्थात्-मन-वचन-काया से त्याग करता हूँ।