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जिनमूर्तियाँ, जिनमन्दिर एवं जैनतीर्थं इनके दर्शनपूजन सम्यक्त्व की शुद्धि, सम्यक्त्व की प्राप्ति तथा सम्यक्त्व की दृढ़ता के लिए कारण माने गये हैं । श्री श्राचाराङ्ग, श्रावश्यक इत्यादि श्रागमसूत्रों तथा नियुक्तियों श्रादि में प्राज भी इन स्थावर तीर्थों का निर्देश मिलता है । इससे स्पष्ट है कि जिनमूर्तियों, जिनमन्दिरों तथा जैनतीर्थों के दर्शन-पूजन आदि का लाभ अहर्निश प्रवश्य ही लेना चाहिए ।
श्रीवीर सं.- २५१५
विक्रम सं.- २०४५
मागशर सुद-६
बुधवार
दिनांक - १४-१२-८८
[ श्री कुन्थुनाथ जिन
मन्दिर प्रतिष्ठा दिन ]
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जैन भवन
मु. साथीन
वाया - पीपाड़ शहर जिला - जोधपुर राजस्थान (मारवाड़)