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सुशील सूरीश्वरजी महाराज, पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. तथा पू. मुनि श्री रविचन्द्र विजयजी म. आऊवा में पधारते हुए । श्रीसंघ की ओर से बैन्डयुक्त स्वागत हुआ। उसी दिन 'श्री सिद्धचक्र महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाई गई ।
* वैशाख सुद 8 रविवार दिनांक १४-५-८६ के दिन प्रातः पूज्यपाद आचार्य म. सा. का तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. का प्रवचन हुआ । अष्टादश अभिषेक होने के बाद जलयात्रा का भव्य वरघोड़ा निकाला गया ।
* वैशाख सुद १० सोमवार दिनांक १५-५-८६ के दिन प्रातः पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. की पावन निश्रा में शुभ लग्न मुहूर्त में छह जिनबिम्बों की तथा नाकोड़ा भैरव मूर्ति की एवं स्वर्गीय पूज्य मुनिराज श्री देवभद्र विजयजी म. के चरणपादुका की महामंगलकारी प्रतिष्ठा हुई । दोपहर में बृहद्शान्तिस्नात्र विधिपूर्वक पढ़ाया गया । स्वामीवात्सल्य भी हुआ । शाम को विहार कर परम पूज्य आचार्य भगवन्त आदि मुनिराज
बतागाँव पधारे ।
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