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जिनमन्दिर के दर्शनादि के बाद पूज्यपाद आचार्य म. सा. का मंगल प्रवचन हुआ। प्रतिष्ठा निमित्त चल रहे नवाह्निका महोत्सव में आज 'श्री सिद्धचक्र महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाई गई।
* वैशाख सुद २ रविवार दिनांक ७-५-८६ के दिन प्रातः पूज्य पंन्यास श्री कुन्दकुन्द विजयजी गरिण म. प्रादि तथा पू. मुनिराज श्री धुरन्धर विजयजी आदि के बिजोवा में पधारने से श्रीसंघ के प्रानन्द में अभिवृद्धि हुई । दोपहर में जल-यात्रा का भव्य जुलूस निकला।
* वैशाख सुद ३ (अक्षय तृतीया) सोमवार, दिनांक ८-५-८६ के दिन पूज्यपाद प्रा. म. सा. की शुभ निश्रा में बने हुए नूतन गुरुमन्दिर में शुभ लग्न मुहूर्त में स्वर्गीय पूज्य आचार्य श्री शान्ति सूरिजी म. को मूत्ति, स्वर्गीय पूज्य आचार्य श्री ललित सूरिजी म. की मूत्ति तथा स्वर्गीय पूज्य आचार्य श्री समुद्रसूरिजी म. की मूत्ति की प्रतिष्ठा हुई। दोपहर में कांकरिया परिवार की ओर से बृहद् शान्तिस्नात्र विधिपूर्वक पढ़ाया गया तथा स्वामीवात्सल्य भी हुआ।
शाम को 'रामाजी का गुड़ा' में प्रतिष्ठा हेतु जाने