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(४) चैत्र (वैशाख) वद १४ गुरुवार दिनांक ४-५-८६ के दिन श्री वामामाता के थाल के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ।
शाम को पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. विजोवा में प्रतिष्ठा हेतु जाने के लिए रामाजी का गुड़ा से विहार कर नीपल गाँव में पधार गये ।
* चैत्र (वैशाख) अमावस्या शुक्रवार दिनांक ५-५-८६ के दिन प्रातः नीपल से विहार कर नाडोल पधारते हुए पूज्यपाद आचार्य म. सा. का स्वागत पूर्वक प्रवेश हुआ। उनकी शुभ निश्रा में श्रीमान् कानमलजी की ओर से 'श्री सिद्धचक्र महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाई गई। शाम को विहार कर परम पूज्य आचार्य म. सा. श्री वरकारणा तीर्थ में पधारे ।
बिजोवा में प्रतिष्ठा-महोत्सव __वैशाख सुद १ शनिवार ६-५-८६ के दिन बिजोवा में गुरुमन्दिर की प्रतिष्ठा हेतु श्री वरकाणा तीर्थ से पधारते हुए मरुधर-देशोद्धारक परम पूज्याचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि का बैन्ड युक्त स्वागत कांकरिया परिवार की ओर से हुआ ।
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