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श्री अभयचन्द्र विजयजी म. तथा उनके शिष्य पूज्य मुनि श्री अणमोलरत्न विजयजी म. के भी प्रवचन का लाभ मिलता रहा।
इस प्रसंग पर पधारे हुए पूज्य साध्वी श्री मंजुला श्रीजी आदि, पूज्य साध्वी श्री सौम्यलता श्रीजी आदि तथा पूज्य साध्वी श्री भक्ति श्रीजी आदि एवं पूज्य साध्वी श्री पुण्यरेखा श्रीजी आदि साध्वीवृन्द के भी दर्शनवन्दनादि का लाभ सबको मिलता रहा। विशेष
(१) फागण सुद ४ शनिवार दिनांक ११-३-८६ के दिन शासन-प्रभावक परम पूज्य प्रा. श्रीमद् विजय हिमाचल सूरीश्वरजी म. सा. के समुदाय के आज्ञावत्तिनी पूज्य साध्वी श्री कमलप्रभा श्रीजी की शिष्या पूज्य साध्वी श्री सौम्यप्रभा श्रीजी की 'बड़ी दीक्षा' विधिपूर्वक पूज्यपाद आचार्य म. सा. के वरद हस्ते हुई ।
(२) फागण सुद ५ रविवार दिनांक १२-३-८६ के दिन श्री ऋषभदेव जिनमन्दिर की वर्षगाँठ निमित्त विधिपूर्वक मन्दिर के शिखरों पर नूतन ध्वजा चढ़ाने में आई तथा प्रभुजी के अष्टादश अभिषेक का कार्य विधिपूर्वक हुआ।
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