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म. सा. आदि का स्वागत हुआ । प्राचीन श्री आदिनाथ जिनमन्दिर के दर्शनादि के बाद मंगल प्रवचन पूज्यपादश्री का हुआ ।
( १ ) महा ( फागरण ) वद ५ रविवार दिनांक २६-२-८९ के दिन तीर्थप्रभावक परम पूज्य आचार्य म. सा. को शुभ निश्रा में श्री उपधान तप की आराधना का प्रारम्भ हुआ । उसमें उपधानवाही भाई-बहिनों की संख्या ६३ हुई । उस दिन से श्री जिनेन्द्रदेव की भक्ति निमित्त ५१ दिन तक अखण्ड पूजा का कार्यक्रम भी प्रारम्भ हुआ । पूज्यपाद आचार्य म. सा., पूज्य उपाध्याय श्री विनोद विजयजी म. सा. एवं पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. का क्रमशः 'श्री उपधान तप की महिमा' पर प्रवचन हुआ ।
प्रतिदिन बैन्ड युक्त जिनदर्शन, श्री ऋषिमण्डल श्रवरण, व्याख्यान, पूजा प्रांगी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा ।
तदुपरान्त बीच में पधारे हुए पूज्य उपाध्याय श्री जयेन्द्रसागरजी म. पू. पंन्यास श्री धरणेन्द्रसागरजी म., पूज्य मुनिप्रवर श्री पुण्योदय विजयजी म., पूज्य मुनिराज
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