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जी म. का संमिलन हुआ। जिनमन्दिर के दर्शनादि के बाद वहाँ चल रहे श्री उपधान तप की क्रिया निमित्त शणगारा हुआ। विशाल मण्डप में पूज्यपाद आचार्य म. सा. का मांगलिक तथा प्रभाविक प्रवचन हुआ। पूज्य पंन्यासजी म. श्री तथा सुमेर तीर्थ के कार्यकर्ताओं आदि की साग्रह विनंति से तीन दिन तक स्थिरता की। प्रतिदिन पू. प्रा. म. सा., पू. पंन्यासजी म. तथा. पू. मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. के प्रवचन का लाभ सभो को मिलता रहा।
पौष सुद १ रविवार दिनांक ८-१-८६ के दिन सुमेर से विहार कर देसुरी पधारते हुए पूज्यपाद आचार्य म. सा. का श्री संघ की ओर से स्वागत हुआ। मांगलिक श्रवण का संघ को लाभ मिला।
* जीलवाड़ा - चारभुजा - गोमती चौराहा-पलासड़ीकेलवा-राजनगर होकर पौष सुद पंचमी के दिन श्री दयालशा तीर्थ किल्ले पर पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. परिवार युक्त पधारे। वहाँ जिनमन्दिर के दर्शनादि करके दो दिन स्थिरता की। विद्वान् पूज्य पंन्यास श्री अशोकसागरजी गणी महाराज आदि का तथा पू. मुनि श्री गुणभद्र विजयजी म. का संमिलन हुआ।
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