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जिनमन्दिर के मूलनायक आदि के दर्शनादिक का सुन्दर लाभ मिला। जैन पेढ़ी की ओर से सब व्यवस्था सुचारु रीत्या की गई थी। वहाँ से नौमी को जावरेला गाँव तथा पहली दशम को डांगियावास होकर दांतियावाड़ा गाँव में आए।
के कात्तिक [मागशर] वद दूसरी दशम रविवार दिनांक ४-१२-८८ के दिन मरुधरदेशोद्धारक परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि श्री कापरड़ाजी तीर्थ में स्वागत पूर्वक पधारे। श्री स्वयम्भूपार्श्वनाथ जिनमन्दिर के और समवसरण मन्दिर के दर्शनादि किये। उसी दिन विहार के सभी स्थलों में भक्ति का लाभ लेने के लिये श्री प्रोसियांजी तीर्थ से साथ में आई हुई जोधपुर निवासी पानीबाई की तरफ से श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक की पूजा पढ़ाई गई। ग्यारस के दिन भी पूज्यपाद आचार्य म. सा. आदि ने वहीं स्थिरता की।
१ कात्तिक [मागशर] वद १२ मंगलवार दिनांक ५-१२-८८ के दिन प्रातःकाल में पूज्यपाद आचार्य म. सा. आदि श्री कापरड़ाजी तीर्थ से विहार कर पीपाड़ सिटी पधारे जहाँ श्री संघ ने बैन्ड की मधुर