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में अंगीकार करे तथा प्रतिदिन चौदह नियम धारण करे।
(४) श्रावक पर्वतिथि को पौषध विधिपूर्वक ग्रहण करे।
(५) श्रावक शासन को अनुपम प्रभावना करने वाले तथा शासन की शोभा में अभिवृद्धि करने वाले प्रत्येक कार्य में अपने तन-मन और धन का पूर्ण सहकारसहयोग देवे ।
(६) श्रावक अपने भोजन में भक्ष्याभक्ष्य तथा पेय-अपेय प्रमुख का विवेक रखे ।
(७) श्रावक सभी त्याज्य पदार्थों का त्याग करे ।
(८) श्रावक अहर्निश अभक्ष्य एवं अनन्तकाय वस्तुओं को तथा रात्रिभोजन को सर्वथा तिलांजलि देवे ।
(६) श्रावक महा प्रारम्भ-समारम्भ की तथा अठारह पापस्थानों की प्रवृत्ति से दूर रहे ।
- (१०) श्रावक मद्यादि चार महाविगइयों को तथा द्यूतादि सात व्यसनों को सर्वथा त्यजे ।
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