________________
परिशिष्ट-५
आवक की दिनचर्या
सुदेव, सुगुरु और सुधर्म को मानने वाले श्रावक वर्ग की दिनचर्या कैसी होनी चाहिये, उसका संक्षिप्त दिग्दर्शन नीचे प्रमाणे है
(१) जैनधर्मी श्रावक प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में अर्थात् सूर्योदय से चार घड़ी (६६ मिनिट) पहले शयन का त्याग करे तथा उठते ही मन की एकाग्रता पूर्वक बारह नवकार-मन्त्र शुद्ध गिने ।
(२) बाद में शुद्ध वस्त्र पहन कर राई प्रतिक्रमण करे । प्रायः यह प्रतिक्रमण प्रातःकाल में मौनपने करे। कारण कि कोई भी हिंसक प्राणी अपनी आवाज से न जाग जाय और हिंसा न कर सके।
(३) सूर्योदय के समय प्रभुदर्शन के योग्य सामग्री साथ में लेकर और ईर्यासमिति का पालन करते हुए विधिपूर्वक जिनमन्दिर में जावे। वहाँ प्रभु के सम्मुख भावपूर्वक स्तुति करे, मुखकोश बाँधकर प्रभुजी की जिन-१
( १४१ )