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कीजे पालन
5 जि....ना... ज्ञा
करे प्रशंसा
न कीजे उसका कभी भंग, भले प्राये
जानना उसे
कर्ता - प्राचार्य विजय सुशील सूरि
जिनाज्ञा
रहे जो जीव जिनाज्ञा में,
का,
श्रो जीव ! सर्वदा तू ही ।
जो
सुखशील स्वच्छन्द
माने 'प्रारणाए धम्मो सही ।
उसकी, सुरनरादि
चारी,
विराधे जो
-
कष्ट
पापी जीव,
सभी ।। १ ।।
सभी सही ।। २ ।।
जिन-आरण |
मोक्षपन्थ रिपु
समान || ३ ||