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* नित्य दर्शनीय-वन्दनीय-पूजनीय * 5 श्रीजिनेश्वर-भगवान की
सारे विश्व में श्रोवीतराग विभु सच्चे देवाधिदेवजिनेश्वर भगवान ही हैं ।। १ ॥
अष्टादश दोष रहित सर्वथा निर्दोष वे ही अरिहन्त भगवान एवं सिद्ध परमात्मा-परमेश्वर प्रभु हैं ।। २ ॥
समस्त गुणों से समलंकृत एवं अनन्त गुणों के भण्डार वे ही जगत् में चिन्तामणि रत्न समान, जगत् के स्वामी, समस्त जगत् के गुरु, जगत् का रक्षण करने वाले, जगत् के बन्धु, जगत् को मोक्ष में पहुँचाने वाले, जगत् के उत्तम सार्थवाह, जगत् के सर्वभावों को जानने में तथा प्रकाशित करने में अद्वितीय दक्ष तथा अनुपम निपुण हैं ।। ३ ।।
जिनकी पंचकल्याणकयुक्त अनुपम विधिपूर्वक प्राणप्रतिष्ठा की हुई हो, ऐसी वीतरागविभु की मूत्तिप्राकृति, पडिमा-प्रतिमा-बिम्ब तथा अष्टादश अभिषेकयुक्त