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संयम से होगा कर्मक्षय तब, देखे विश्व प्रकाश । भवभ्रमण सदा बन्द ही होगा, मिले मोक्ष में वास ।
मेरे ॥५॥
सादि अनन्त स्थिति में मग्न सदा,
सद् चिदानन्द जास। सुशील कहे शाश्वत सुख मिला,
अब नहीं मुझे किसी की प्राश ।। मेरे० ॥६।।
+ मंगलमय धुन म
मन्त्रं संसारसारं, त्रिजगदनुपम, सर्वपापारिमन्त्रम् । संसारोच्छेदमन्त्रं, विषमविषहरं, कर्मनिर्मूलमन्त्रम् ॥ मन्त्रं सिद्धिप्रदानं, शिवसुखजननं, केवलज्ञानमन्त्रम् । मन्त्रं श्रीजैनमन्त्रं जप-जप-जपितं जन्मनिर्वाणमन्त्रम् ॥
ॐ जैनं जयति शासनम् ॥