________________
( १०६ ) व्यंतर-ज्योतिषीमां वली जेह ,
शाश्वता जिन वंदु तेह । ऋषभ - चन्द्रानन - वारिषेण ,
वर्द्धमान नामे गुणसेण ॥ १० ॥ समेतशिखर वंदु जिन वीश ,
अष्टापद वंदु चोवीश । विमलाचल ने गढ़ गिरनार ,
प्राबू ऊपर जिनवर जुहार ।। ११ ॥ शंखेश्वर केसरियो सार ,
तारंगे श्री अजित जुहार । अंतरिक्ख वरकाणो पास ,
जीराउलोने थंभरण पास ।। १२ ।। ग्राम नगर पुर पाटण जेह ,
जिनवरचैत्य नमु गुण गेह । विहरमान वंदु जिनवीश ,
सिद्ध अनंत नमुनिश दिश ।। १३ ।। प्रढी द्वीपमां जे मणगार ,
अढार सहस शीलांगना धार । पंच महाव्रत समितिसार ,
पाले पलावे पंचाचार ।। १४ ॥