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________________ र प्रकाशकीय निवेदन CarAAAAAAAAAAAAAAAIMIMS विश्वविख्यात परमपूज्य शासनसम्राट्-समुदाय के सुप्रसिद्ध जैनधर्मदिवाकर-जिनशासनशणगार-राजस्थान-दीपक-मरुधरदेशोद्धारक-शास्त्र विशारद्-साहित्यरत्न-कविभूषण-तीर्थप्रभावक-बाल..ह्मचारी-परम पूज्याचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वर जी म.सा. के द्वारा विरचित अनेक ग्रन्थों का प्रकाशन 'प्राचार्य श्री सुशील सूरि जैन ज्ञान मंदिर' शान्तिनगर, सिरोही ने पूर्व में किया है। श्री सुशील साहित्य-प्रकाशन समिति, जोधपुर की ओर से पूज्यपाद आचार्य महाराज श्री रचित 'श्री जिनमूत्ति पूजा-सार्द्धशतकम्' नामक एक अनुपम नूतन ग्रन्थ का प्रकाशन करते हुए आज हमें अति आनन्द-हर्ष हो रहा है। _ 'मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता' दर्शाने वाला यह ग्रन्थ पूज्यपाद गुरुदेव आचार्य म. श्री ने वि. सं. १६४५ की साल में जोधपुर-क्रिया भवन चातुर्मास में लिखा था। उस समय न्यायविशारद न्यायाचार्य महामहोपाध्याय श्री यशोविजय जी महाराजश्री के प्रतिमा शतक' नामक ग्रन्थ का अवलोकन रते हुए, अापके अन्तःकरण में नूतन जिनमूत्तिपूजा सार्द्धशतक तोत्र रूप में शिखरिणी आदि छन्दों में रचने की भावना स्फरायमान हुई। आपके शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजय जी म.सा. ने तथा प्रशिष्य पूज्य मुनि श्री रविचन्द्र विजय जी म. ने भी इस कार्य को शीघ्र प्रारम्भ करने की सत्प्रेरणा ( १५ )
SR No.002336
Book TitleJinmurti Pooja Sarddhashatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1994
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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