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________________ • आषाढ़ सुद ६ गुरुवार दिनांक २-७-८७ के दिन प्रातः जैतारण से विहार करके बांजापुरा पधारे। वहाँ पर स्थिरता की। • आषाढ़ सुद ७ शुक्रवार दिनांक ३-७-८७ के दिन प्रात: बांजापुरा से विहार करके आनंदपुर कालूगाँव पधारे । श्रीसंघ ने स्वागत किया। जिनमन्दिर में दर्शनादि किये। बाद में स्थानक में स्थिरता की। पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा. ने प्राचीन जिनमन्दिर के जोर्णोद्धार कराने में श्रीसंघ के कार्यकर्तामों को मार्गदर्शन दिया और पुनः प्रतिष्ठा कराने को कहा। उसी समय श्रीसंघ के कार्यकर्ताओं ने इसे सानंद स्वीकार किया। आषाढ़ सुद आठम के दिन प्रातः विहार द्वारा पुनः बांजापुरा पधारे। • आषाढ़ सुद ६ रविवार दिनांक ५-७-८७ के दिन प्रातः बांजापुरा से विहार करके जैतारण नगर की दादावाड़ी में स्थित श्रीधर्मनाथ जिनमन्दिर में मूलनायक श्रीधर्मनाथ आदि जिनेश्वरदेवों की मूर्तियों आदि का दर्शनादि करके श्रीमरुधर केसरी जैनछात्रावास-पावनधाम में परमशासनप्रभावक-जैनधर्मदिवाकर-राजस्थानदीपक-मरुधरदेशोद्धारकपरमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा. ( २०४ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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