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ओर से प्रभावना हुई। उसी दिन परमगुरुदेव पूज्यपाद आचार्य म. श्री ने श्री वर्द्धमान तप की ५५ वी ओली प्रारम्भ की।
(२) ज्येष्ठ सुद २ शुक्रवार दिनांक २६-५-८७ के दिन श्रीमान् रतनचन्दजी दलीचन्दजी कोठारी की ओर से दशाह्निका-महोत्सव का प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन व्याख्यान-पूजा-प्रभावना-प्रांगी-रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा। उसी दिन पूज्य शासनसम्राट् समुदाय की आज्ञावर्तिनी तपस्विनी पूज्य साध्वी श्री अभयप्रज्ञाश्रीजी द्वारा की हुई श्री वर्धमान तप की ७२ वीं ओली के पारणा के उपलक्ष में परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजय सुशीलसूरीश्वरजी म. सा. आदि चतुर्विध संघ तथा बेन्ड युक्त बाजते-गाजते शा. रतनचन्दजी दलीचन्दजी के घर पर पगलां हुए। वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मंगलप्रवचन के पश्चात् संघपूजा हुई। इस पारणा के प्रसंग पर मुम्बई तथा गुजरात-सौराष्ट्र के बोटाद नगर से आये हुए तपस्विनी पूज्य साध्वीजी के संसारी अवस्था के सगेसम्बन्धियों की ओर से भी संघपूजा हुई। श्रीमान् रतनचन्दजी दलीचन्दजी कोठारी की ओर से निर्मित 'श्रीकंकुबाई जैनभवन' का उद्घाटन पूज्यपाद प्राचार्यदेव
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