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________________ साध्वी समुदाय को सुख शातादि पूछ करके मुण्डारागाँव पधारते हुए परमपूज्य आचार्य म.सा. आदि का श्रीसंघ ने स्वागत किया। व्याख्यान के बाद प्रभावना हई। श्रीराणकपुर तीर्थ में ५०० आयम्बिल तप के पारणा एवं श्रीसिद्धचक्रमहापूजन ज्येष्ठ (वैशाख) वद ६ सोमवार दिनांक १८-५-८७ के दिन तीर्थप्रभावक परमपूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा. आदि मुण्डारा से विहार द्वारा श्री राणकपुर तीर्थ में पधारते हुए। उनका बेन्ड युक्त स्वागत सादड़ीनिवासी श्रीमान् मांगीलाल घीसूलाल बदामिया द्वारा श्री पाणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी मारफत हुआ। विशालकाय भव्य श्री ऋषभदेव जिनमन्दिर के दर्शनादि किये। ५०० प्रायंबिल तप के पारणा के प्रसंग पर शरणगारेल विशाल मण्डप में पूज्यपाद आचार्यदेव की पावन निश्रा में ज्ञानपूजन हुआ। 'तप की महत्ता' पर पूज्यपाद श्री का प्रभावशाली प्रवचन हुआ। श्रीमान् मांगीलाल और घीसूलाल की मातुश्री द्वारा की हुई ५०० आयंबिल तपश्चर्या की पूर्णाहुति एवं ( १८६ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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