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एन्दलागाँव में पधारते हुए । उनका श्रीसंघ की ओर से बेन्ड युक्त स्वागत हुआ। चैत्रमासीय शाश्वती श्रीनवपद अोली की आराधना का प्रारम्भ हुआ। तथा तन्निमित्तक चैत्र सुद ८ से चैत्र सुद १५ तक 'नवाहि नका-महोत्सव' का भी प्रारम्भ हुआ। महोत्सव दरम्यान प्रतिदिन पूजाप्रभावना-प्रांगी-रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम रहा। पूज्यपाद आचार्य म. सा. तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. के प्रवचन का लाभ अहर्निश श्रीसंघ को मिलता रहा। . चैत्र सुद ११ के दिन व्याख्यान में अगवरी निवासी शा. चुन्नीलाल सांकलचन्दजी की ओर से संघपूजा हुई। • चैत्र सुद १३ रविवार दिनांक १२-४-८७ का दिन श्रमण भगवान महावीर परमात्मा का जन्म-कल्याणक होने से वरघोड़ा हाथी-घोड़े-नगाड़े निशानडंका-बैन्ड आदि से सुशोभित निकाला गया। • चैत्र सुद १५ मंगलवार दिनांक १४-४-८७ के दिन 'श्रीसिद्धचक्र महापूजन' विधिपूर्वक शानदार पढ़ाया गया । उसी दिन स्वामिवात्सल्य शा. मीठालालजी कोठारी बोकरीया की तरफ से हुआ। अोली आराधक तपस्वियों के पारणा आदि का कार्यक्रम अच्छा रहा ।
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