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म. सा. ने नूतन मुनि को मुनि श्री पुण्योदय विजयजी नाम से जाहेर करके अपने विद्वान् शिष्यरत्न मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. का शिष्य बनाया। संघपूजा भी हुई। उसी दिन क्रियाभवन में संघवी श्री गुणदयालचन्द जी भण्डारी की धर्मपत्नी अ. सौ. श्रीमती कमला बहन द्वारा की हुई विविध तपश्चर्या के निमित्त नव छोड़ के उद्यापन-उजमणा युक्त 'अष्टाहि नका-महोत्सव' का प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन व्याख्यान, पूजा, प्रभावना और रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा ।
. सप्तमी के दिन पूज्यपाद आचार्य म. श्री चतुर्विध संघ और बेन्ड युक्त शा. शान्तिलालजी मरडिया वकील के घर पर पधारे। वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मंगल प्रवचन के बाद प्रभावना हुई। . दशमी के दिन क्रियाभवन में संघवी श्री गुणदयालचन्दजी भण्डारी की ओर से चालू महोत्सव में लघु शान्तिस्नात्र विधिपूर्वक पढ़ाया गया और संघपूजा भी की गई।
• फागुन (महा) वद ११ मंगलवार दिनाक २४-२-८७ के दिन प्रातः परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री चतुर्विध संघ तथा बेन्ड समेत शा. वीरेन्द्रचन्दजी भण्डारी के घर पर
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