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दिन की स्थिरता दादावाड़ी में की। प्रतिदिन पूज्यपाद आचार्य म. सा. का एवं पूज्य मुनिराज श्रोजिनोत्तम विजयजी म. के प्रवचन का लाभ श्रीसंघ को मिलता रहा। महा सुद चौथ के दिन व्याख्यान में श्रीमान् भेरुसिंहजी दयालसिंहजी मेहता की ओर से रुपये की प्रभावना हुई। • महा सुद ५ (वसन्त पंचमी) मंगलवार दिनांक ३-२-८७ के दिन परम पूज्य आचार्य म. श्री ने अपनी बड़ीदीक्षा के ५५ वें वर्ष में और प्राचार्य-पदवी के २३ वें वर्ष में मंगल प्रवेश किया। उसी दिन श्री विमलनाथ जिनमन्दिर की वर्षगाँठ और श्री दादावाड़ी जिनमन्दिर की भी वर्षगाँठ होने से दोनों स्थलों में शिखर पर तथा तीसरे श्री सुमतिनाथ जिनमन्दिर के भी शिखर पर परम पूज्य प्राचार्य म. सा. की शुभ निश्रा में नूतन ध्वजाएँ विधिपूर्वक चढ़ाने में पाईं। बाद में दादावाड़ी में मंगल प्रवचन के बाद श्रीमान् फूलचन्दजी पारसमलजी की ओर से प्रभावना हुई। श्री विमलनाथ जिनमन्दिर में भी उन्हीं की तरफ से प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाई गई। • महा सुद ६ बुधवार दिनांक ४-२-८७ के दिन बिलाड़ा से विहार कर पूज्यपादश्री खारिया गांव पधारे।
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