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चेहरे पर दिखाई देती क्रोध-अभिमान की मुद्रा, रक्त का संचार और नसों का कम्पन इत्यादिक से देह-शरीर के अन्दर कोई अदृश्य आत्म द्रव्य है, ऐसा निश्चित-निर्णय होता है। जैसे-वायु से वस्त्रादि उड़ा कहा जाता है, वैसे ही इन्द्रियों, अंगों एवं उपांगों की हलचल तथा मानसिक-मन की विचारणा इत्यादि हुई तो कहते हैं कि भले हम आत्मा को आँख से न देख सकें तो भी यह आत्मा के कारण हुई।
अर्थापत्ति प्रमाण से आत्मा की सिद्धि
(१) अनेक महीनों तक दिन में भोजन नहीं करने वाले ऐसे देवदत्त का शरीर पुष्ट दिखता है। इससे अनुमान अर्थापत्ति का लगाया जाता है कि वह अवश्य ही रात्रि में भोजन करता होगा। कारण कि रात्रिभोजन के बिना ऐसी शारीरिक पुष्टता नहीं घट सकती। इसलिये इस प्रकार अर्थापत्ति प्रमाण से आत्मा की सिद्धि होती है।
(२) जिस शरीर में मृत्यु से पूर्व जो हलन-चलन आदि क्रिया दिखाई देती है, उस शरीर में वह मृत्यु के पश्चाद अदृश्य आत्मा की विद्यमानता-मौजूदगी के बिना नहीं हो सकती। कारण कि, इस शरीर का संचालन करने
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