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________________ इनको भी 'परलोक है कि नहीं ?' संशय अपने अन्तःकरण में था । इस विषय का संदेह - ( ११ ) श्रीप्रभास - इनका जन्म राजगृही नगरी में, कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र में हुआ था । पिता का नाम बल ( बलभद्र ) द्विज, माता का नाम प्रतिभद्रा ( प्रतिबला) और गोत्र का नाम कौडिन्य गोत्र था तथा ये अपने ३०० छात्रों के अध्यापक थे । इनके जीवन का शेष परिचय श्रीइन्द्रभूति प्रादि की माफिक जानना । इनको भी 'मोक्ष है कि नहीं ? ' इस विषय का संदेह - संशय अपने अन्तःकरण में था । ये ग्यारह पण्डित अपने अन्तःकरण - हृदय में एक-एक विषय का संदेह - संशय होते हुए भी अपने को 'सर्वज्ञोऽहम् ' अर्थात् 'मैं सर्वज्ञ हूँ' इस तरह असत्य अभिमान धरने वाले थे । अपने सर्वज्ञत्व के प्रौढत्व एवं घमण्ड से अपने को सर्वोपरि मानते थे तथा यही समझते थे कि हमारे रहते हुए और कौन सर्वज्ञता को धारण कर सकता है तथा अपने सर्वज्ञपने के अभिमान की क्षति के भय से अपने संदेह - संशय के विषय में परस्पर पूछते भी नहीं थे । ये ग्यारह पण्डित तथा इनके छात्र - विद्यार्थी सभी ( १२ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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