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श्री गौतमस्वामी का छन्द .
वीर जिनेश्वर केरो शिष्य, गौतम नाम जपो निशदिश । जो कीजे गौतमनु ध्यान, तो घर विलसे नवे निधान ।। १ ।। गौतमनामे गिरिवर चढ़े, मन वांछित हेला संपजे । गौतम नामे नावे रोग, गौतम नामे सर्व संयोग ।। २ ।। जे वेरी विरुया वंकड़ा, तस नामे नावे ढकड़ा। भूत प्रेत नवि मंडे पाण, ते गौतमना करू वखाण ।। ३ ।। गौतम नामे निर्मलकाय, गौतम नामे वाधे प्राय । गौतम जिनशासन शरणगार, गौतम नामे जय-जयकार ।। ४ ।। शाल दाल सुरहा घृत गोल, मन वांछित कापड तंबोल। घर सुधरणी निर्मल चित्त, गौतम नामे पुत्र विनीत ।। ५ ।। गौतम उदये अविचल भाग, गौतम नाम जपो जग जाण । मोटा मन्दिर मेरु समान, गौतम नामे सफल विहाण ।। ६ ।। घर मयगल घोड़ानो जोड़, वारु पहोंचे वंछित कोड़। महियल माने मोटा राय, जो त्रूठे गौतमना पाय ।। ७ ।। गौतम प्रणम्या पातक टले, उत्तम नरनी संगत मले। गौतम नामे निर्मल ज्ञान, गौतम नामे वाधे वान ।। ८ ।। पुण्यवंत अवधारो सहु, गुरु गौतमना गुण छे बहु । कहे लावण्य समय कर जोड़, गौतम तूठे संपत्ति क्रोड़ ।। ६ ।।
॥ श्रीगौतमस्वामी का मन्त्र ॥ "॥ ॐ ह्राँ श्री अरिहंत उवज्झाय गौतमस्वामिने नमो नमः॥"
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