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(शेष तीन स्तुतियाँ प्रथम गणधर के देववन्दन की भाँति कहनी)।
स्तवन * ( वाडी फूली अति भली मन भमरा रे-ए देशी में ) अकम्पित नामे पाठमो भविवंदो रे , गणधर गुणनी खाण सदा पाणंदो रे ; मिथिला नगरी दीपती, भवि वंदो रे , भरणा गौतम गोत्र प्रधान, सदा पाणंदो रे ॥ १ ॥ देवनामे जेहनो पिता, भवि वंदो रे , जयंति जस मास, सदा पारणंदो रे; उत्तराषाढाए जण्या, भवि वंदो रे , चातुर्वेदी कहाय, सदा पाणंदो रे ॥ २ ॥ वरस अडतालोश घर रह्या, भवि वंदो रे, छद्मस्थे नववास, सदा पाणंदो रे ; एकवीश वरस लगे केवली - भवि वंदो रे , वीर चरण कज वास - सदा पारणंदो रे ॥३॥ वरस अठयोत्तर पाउखु - भवि वंदो रे , त्रण सय मुनि परिवार - सदा पाणंदो रे ; सम्पूर्ण श्रुत केवली - भवि वंदो रे , लब्धितरणा भण्डार - सदा पारणंदो रे ॥ ४ ॥
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