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8 स्तुति
( मालिनी वृत्त ) मौर्यपुत्रगणीश , सातमो वोर शिष्य , .
नहिं रागने रीश , जागती छे जगीश ; . नमे सुरनरईश , अंग लक्षरण दुतीश , __ ज्ञानविमल सूरीश , संथूरणे रात दीश ॥१॥
(शेष तीन स्तुतियाँ प्रथम गणधर के देववन्दन की तरह कहनी)।
* स्तवन है ( कर्म न छोड़े रे प्राणीया-ए देशी में ) मौर्यपुत्र गरिण सातमो , मौर्य सन्निवेश गाम ; देवी विजया रे माडली , मोरीय जनकनुं नाम
वन्दो गणधर गुरणनीलो ॥१॥
(ए प्रकरणी) रोहिणी नक्षत्र जेहD , जनम चन्दशुं जोग ; पांसठ वरस घरे रह्या , दशचउ छउमत्थे जोग
वन्दो गणधर गुणनीलो ।। २ ।। सोलह वरस लगे केवली, वरस पंचारण रे पाय; उट्ठसय मुनिवर जेहने , परिवारे सुखदाय
वन्दो गणधर गुणनीलो ।। ३ ॥ ( ११८ )