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३४. कर्मक्षय
३५. आयुष्य
३६. निर्वाण
: चार घाती और चार अघाती सभी
कर्मों का सर्वथा क्षय किया। : सर्वायुष्य (४६ + १२ + १४ =) ७२
वर्ष का था । : सम्पूर्ण ७२ वर्ष का आयुष्य पूर्ण कर प्रभु श्री महावीर परमात्मा के जीवन-काल में ही मगधदेश की राजगृही नगरी के वैभारगिरि पर, सकल कर्मों का क्षय करके निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया। मोक्ष में आज भी उनकी सादि अनंत स्थिति प्रवर्त्त रही है और भविष्य में भी सर्वदा ऐसी रहेगी।
पाय।
के दसवें गणधर श्रीमेतार्यक १. नाम : श्रीमेतार्य । २. पिताश्री : श्रीदत्त । ३. मातुश्री : वरुणदेवी। ४. जाति : विप्र (ब्राह्मण)।
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